एगो हंस रहल | ओकर
दूगो बच्चा रहल | एगो के नाम रहल सनी एगो के मनी | तीनों एगो तालाब किनारे रहत रलन
स | मनी निमन रहल | उ अपन माँ के बात सुने | सनी ढीठ रहल | उ माँ के बात नय सुने |
दूर तालाब में कमल के
सुन्दर-सुन्दर फूल खिलल रहल | कोनों लाल त कोनों नीला | तीनों हंस उ कमल के देखके
बहुत खुशी होत रहलन स | मनी औरु सनी कमल के फूल लेवे चाहत रहलन स |
मनी - “ए सनी ! हम ललका कमल लेब |”
सनी –
“नीलका कमल हमर ह |”
(दुन्नों कमल तुड़े जा लन स)
माँ - “ए
लैका लोग ! उ कमल के भीरी नय जय्यऽ स | हुँवाँ जान के खतरा बा |”
दुन्नों लैका माँ के
बात सुनलन स | उ लोग हुँवाँ नय गयलन स | बकिर सनी के मन नय मनलक |
दूसर दिन सनी
लुकयते-लुकयते कमल के भीरी गल | एगो बहेलिया त इही ताक में रहल | उ झट से सनी के
गर्दन पकड़ लेलक | सनी त लगल छटपटाय | बहेलिया खुशी के मारे लगल हँसे – “हा ! हा ! हा ! ...” सनी के जान छुटल
जात रहल |
मनी सनी के आवाज़
सुनके माँ के बुलय लक | दुन्नों कमल के भीरी हाली से गयलन स | उ लोग मिलके अपन
चोंच से बहेलिया के लगलन स काटे | बहेलिया के लगल घाव | उ लगल चिल्लाय – “ई ! ऊ ! आ ! ...” बहेलिया सनी के
गर्दन छोड़ दे लक | उ लगल भागे |
तीनों हंस खुसी-खुसी
अपन घर लौट जालन स | इ घटना के बाद सनी भी अपन माँ के बात सुने लगल |
इही खातिर बोलल जा ला
बड़ा लोग के बात हमेशा चाही सुनेके |
3 comments:
very interesting :))))))))
badhiya lagal
धन्यवाद :)
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