Sunday, December 3, 2017

सिंह औरु चूहा


एगो जंगल रहल । उ जंगल में बहुते जनावर रह तहल। जंगल में एगो सिंह रहल । ऊ त रहल जंगल के राजा। एक दिन सिंह एगो शिकारी के जाल में फँस जाला। ऊ जाल से निकले के बहुते कोशिश करेला। बकिर ऊ नँय सकेला निकले। अपन प्राण बचावे खातिर ऊ जोर-जोर से दहाड़े ला।
[ सिंह जाल में ]
सिंह – 'बचावऽ स ! बचावऽ स हमरा ! इ जाल से निकालऽ स हमरा !'
एगो बकरी उधर से गुजरऽ तहल। ऊ बकरी से विनती करेला :-
[ सिंह जाल में / बकरी ]
सिंह – 'ए बकरी बहिन, इ जाल से निकालऽ हमरा !'
बकरी जवाब देलक :-
बकरी – 'बाप रे बाप ! बाप रे बाप ! नँय ! नँय ! नँय सिंह राजा ! तूँ खा जयबऽ हमरा !'
बकरी डरते-डरते हउजा से भाग जा ला। तब एगो बानदर उधर से कूदते-कूदते आवे ला। सिंह बानदर के बोलेला :-
[ सिंह जाल में / बानदर ]
सिंह - 'ए बानदर भइया ! हमरा निकालऽ इ जाल से !'
बानदर जवाब देलक :-
बानदर – 'नँय सिंह राजा ! तूँ हौजे ठीक हवऽ !'
बानदर मुँह बिरा के कूदते-कूदते हउजा से भाग जा ला। तब एगो चूहा अपन बिल से निकलके आवेला। ऊ सिंह के बोलेला :-
[ सिंह जाल में / चूहा ]
चूहा – 'ए सिंह राजा ! इ जाल से तोहरा निकालब ! बकिर तूँ हमरा नँय खययऽ !'
सिंह – 'चूहा मामू ! तूँ बहुत छोटा हवऽ ! कैसे निकलबऽ इ जाल से हमरा ?'
सिंह के बोली चूहा मामू के तनको नँय अच्छा लगल ! ऊ न आव देखलक न ताव, झट से जाल काट देलक। सिंह जाल से तुरन्ते बाहर निकलेला। ऊ बहुते खुसी हो जा ला औरु बोलेला :-
[ सिंह जाल के बाहर / चूहा ]
सिंह – 'चूहा मामू ! छोटा समझ ली हम तोहरा ! पर तूँ ही प्राण बचयलऽ आज हमर !'
उ दिन से दुन्नों निमन संघतिया बन जालन जा।
इही खातिर बोलल जाला :-

"कबो कोय के छोटा नँय चाहिला समझेके !

छोटा से छोटा जनावर भी बड़ा से बड़ा काम सकी करे !"

1 comment:

Anonymous said...

बहुत बहुत बधाई !!!!

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