दादी - ‘ए रवि बेटा, इ का कर ल ? हिंया आवऽ !’
(रवि केला खा के छिलका फेंकत रहल)
दादी - ‘रवि बेटा, अपन घर-अँगना, आस-पास
चाहीं सफा रखेके ! आवऽ तोहरा इ पर एगो खिस्सा सुनावब !’
रवि - ‘हाँ दादी ! खिस्सा सुनब, खिस्सा सुनब ! दादी से हम खिस्सा सुनब ....!’
दादी -
‘एगो तालाब
रहल । तालाब के पानी हरदम सफा रहे । तालाब के मच्छी आपस में मिलके रहे । हुँवाँ जनावर, चिरँय औरु जल-जन्तु आपस में मिन्तर रहलन स । उ तालाब के पानी सब कोय पिये ।
हुँवाँ सब कोय हंसी-खुसी से जीये ।
एगो बगुला
कबो-कबो उ तालाब में पानी पिये आवे । एक दिन बगुला पानी पिये आल, बकिर तालाब के पानी मैला रहल । उ पानी नँय पिलक । छोटा-छोटा मच्छी मरल रहल
। मक्खी भिनभिनात रहल । कचड़ा उपलाल रहल । कमल के फूल भी मूरझाल रहल ।
इ सब देखके
बगुला उदास भइल । तब एगो बड़ा मच्छी ओकर से विनती कर लक :-
मच्छी - ‘ए मिन्तर ! हमनी दुःखी हँय जा !’
बगुला - ‘इ का होल ? तालाब कैसे मैला भइल ?’
मच्छी - ‘का बोलब ! कुछ दिन से एक जना इ तालाब में कचड़ा फेंकत बा !’
बगुला - ‘इ बहुत दुःख के बात बा ! हमनी सब के जान खतरा में बा !’
मच्छी - ‘ए मिन्तर ! तू ही हमनी के जान सकबऽ बचाय !’
बगुला - ‘हम कैसे सकब जान बचाय ?’
मच्छी - ‘तू जा ! इ संदेश राजा तक पहुँचा द !’
इ खबर राजा
तक पहुँचल । राजा त खूबे खिसियाल । उ तालाब के चारो बगल लासा लगवा देलक । उ आदमी कचड़ा
जैसे फेंकके बैठल, हवजे उ सट गइल औरु लगल जोर-जोर से चिल्लाय :-
आदमी - ‘इ का होल ! इ का होल ! इ लासा में हम कैसे सट गइली ! कैसे निकलब ! कैसे निकलब ! कैसे निकलब !’
उ त हवजे
सटल रहल । राजा इ खबर सुनके तुरन्त आवेला । उ आदमी राजा के देखके, कलप-कलपके रोवे ला :-
आदमी (रोवे ला) - ’इ
का होल हम कैसे सट गइली ? कैसे निकलब ? हम कैसे निकलब ?....राजा, हमरा माफ़ कर द ! हमरा इ लासा से निकाल द !’
राजा - ‘दुष्ट ! तोहरा जरूर
सज़ा मिली ! तू तालाब के जल्दी सफा करऽ ! जब तक तू इ गाँव में जीबऽ, इ तालाब के हमेशा सफा रखियऽ !’
आदमी - ‘हाँ ! हाँ राजा ! इ तालाब
के सफा रखब ! हैजा मैला नँय फेंकब !’
राजा - ‘कान खोल के सुनलऽ ! इ तालाब
हमेशा चाहीं सफा रखेके, मैला रही त तोहरा कड़ा से कड़ा सज़ा मिली !’
आदमी - ‘हाँ राजा ! हम अपन कान पकड़त हँय ! हम हरदम इ तालाब के सफा रखब ! सफा रखब !’
दादी - ‘रवि बेटा, इही खातिर बोलल जा ला, हमेसा चाहीं अच्छा काम करेके काहे के
जैसन करनी औसन भरनी !’
रवि -
‘सुन लऽ ! देख लऽ ! हमनी के
देस बहुत सुन्दर बा, एके हमेसा सफा रखिय !’
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